भारतीय मानव अंतरिक्ष यान कार्यक्रम

     वर्ष 1984 में प्रथम भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा की अंतरिक्ष यात्रा के पश्चात् भारतवासी पिछले तीन दशकों से भी अधिक समय से अपने दूसरे अंतरिक्ष यात्री की प्रतीक्षा कर रहे हैं। हालांकि इस समय अंतराल में भारतीय मूल की कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स तथा राजा चारी सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में जा चुके हैं। भारतवासियों के उन प्रतीक्षा के क्षणों को विराम देने के उद्देश्य से 15 अगस्त, 2018 को भारत के 72वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने लाल किले की प्राचीर से घोषणा करते हुए कहा कि भारत भविष्य में अपनी भूमि से मानव को अंतरिक्ष में भेजेगा।

भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के इस संकल्प को सिद्ध करने के उद्देश्य से प्रारंभिक कदम उठाते हुए 27 जून, 2019 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की इकाई समानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र तथा रोस्कॉसमॉस स्टेट-स्पेस कॉर्पोरेशन की सहायक इकाई ग्लेवकोस्मोस के मध्य एक अनुबंध अस्तित्व में आता है। समानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र के तत्कालीन प्रमुख डॉ. उन्नीकृष्णन नायर तथा ग्लेवकोस्मोस की प्रथम उप निदेशक जनरल नतालिया लोकतेव के द्वारा हस्ताक्षरित इस अनुबंध के माध्यम से ग्लेवकोस्मोस, भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के लिए उम्मीदवारों के चयन सम्बन्धी परामर्श, अंतरिक्ष यान के प्रशिक्षण कार्यक्रम तक पहुंचाने के लिए उम्मीदवारों का चिकित्सीय परीक्षण तथा चिकित्सा परीक्षा के आधार पर चयनित भारतीय उम्मीदवारों के लिए अंतरिक्ष उड़ान संबंधी प्रशिक्षण प्रदान करने में सहयोग प्रदान करेगी। इस कार्य के संचालन में यूरी गागरिन अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र तथा रशियन एकेडमी ऑफ़ साइंस की संस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड बायोलॉजिकल प्रॉब्लम्स की भी सहभागिता होगी।


(अनुबंध पर हस्ताक्षर करते हुए ग्लेवकोस्मोस की प्रथम उप निदेशक जनरल नतालिया लोकतेव और इसरो के  समानवअंतरिक्ष उड़ान केंद्र के निदेशक डॉ. एस उन्नीकृष्णन नायर, अनुबंध पर हस्ताक्षर करते हुए । फोटो साभार: ग्लेवकोस्मोस)

30 जनवरी, 2019 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के मुख्यालय के कैंपस में इसरो के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. के. सिवन के द्वारा समानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र का उद्घाटन किया गया। समानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र, गगनयान कार्यक्रम के लिए प्रारम्भ से अंत तक सहयोग प्रदान करेगी तथा इस कार्यक्रम के लिए ऑर्बिटर मॉड्यूल, अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण तथा जीवन रक्षा, बुनियादी और व्यावहारिक अंतरिक्ष विज्ञान, मानव और रोबोटिक अंतरिक्ष अन्वेषण आदि से सम्बंधित अभियांत्रिकी प्रणाली को विकसित करने के लिए जिम्मेदार है।

लगभग 9023 करोड़ के अनुमानित बजट वाले गगनयान कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य स्वदेशी तकनीक से सफलतापूर्वक मानव को अंतरिक्ष में भेजना तथा वापस लाना है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत दो मानवरहित तथा एक मानवसहित अंतरिक्ष उड़ान को भारत सरकार द्वारा सहमति दी गई है। दो मानवरहित अंतरिक्ष उड़ानों के माध्यम से प्रक्षेपण वाहन तथा अंतरिक्ष यान का तकनीकी परीक्षण, सुरक्षा, विश्वसनीयता की जांच तथा विश्लेषण किया जाएगा, जिससे मानव अंतरिक्ष उड़ान को सुरक्षित तथा सफल बनाया जा सके। मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम गगनयान के मुख्य उद्देश्य भारतीय स्वदेशी अंतरिक्ष यान के द्वारा तीन भारतीय नागरिकों को पांच से सात दिवसीय अंतरिक्ष यात्रा के अंतर्गत पृथ्वी की निचली कक्षा में सफलतापूर्वक भेज कर एक सतत भारतीय मानवी अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम की आधारशिला रखना है। यह अंतरिक्ष यान मुख्य रूप से तीन भागों - क्रू मॉड्यूल, सर्विस मॉड्यूल और ऑर्बिटल मॉड्यूल में विभक्त होगा और इसे जीएसएलवी मार्क-III प्रक्षेपण यान के द्वारा अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाएगा।

(बैंगलोर स्पेस एक्सपो 2018 में प्रदर्शित एकीकृत क्रू और सर्विस मॉड्यूल को दर्शाने वाले गगनयान कक्षीय वाहन का प्रारंभिक विन्यास)

भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के संभावित उम्मीदवारों के चयन हेतु 28 मई, 2019 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन तथा भारतीय वायु सेना के मध्य समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित हुआ। इस समझौते के द्वारा भारतीय वायु सेना अपने चार योग्य व कुशल वायु सेना चालकों का चयन इस प्रस्तावित उड़ान के लिए करेगी।


(एयरोस्पेस मेडिसिन संस्थान में भारतीय अंतरिक्ष यात्री समूह के चयन के लिए चिकित्सा परीक्षण प्रक्रिया। फोटो साभार: भारतीय वायु सेना)

भारतीय वायु सेना तथा इंस्टीट्यूट ऑफ़ एयरोस्पेस मेडिसिन, बेंगलुरु की संयुक्त चयन प्रक्रिया के द्वारा चयनित संभावित साठ उम्मीदवारों का विभिन्न चरणों में चिकित्सा परीक्षण किया गया। 1 जनवरी, 2020 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के तत्कालीन अध्यक्ष श्री के. सिवन ने घोषित किया कि गगनयान कार्यक्रम के अंतर्गत अंतरिक्ष यात्रियों के समूह के लिए भारतीय वायु सेना के चार उत्कृष्ट चालकों का चयन कर लिया गया है। परंतु चारों चालकों के नाम को गोपनीय रखा गया है। 10 फरवरी, 2020 से चारों भारतीय प्रशिक्षुओं का यूरी गागरिन अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र, मॉस्को में बारह माह की अवधि का प्रशिक्षण प्रारंभ होता है। इसके अंतर्गत भारतीय प्रशिक्षुओं को बायोमेडिकल, सोयूज अंतरिक्ष यान की प्रणालियों का ज्ञान, भारहीनता का प्रशिक्षण, आपातकाल लैंडिंग तथा सोवियत भाषा का ज्ञान इत्यादि विस्तृत प्रशिक्षण शामिल है।

ग्लेवकोस्मोस ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के साथ अपने सहयोग के क्षेत्र को और अधिक विस्तृत करते हुए 28 अक्टूबर, 2019 तथा 11 मार्च, 2020 के अनुबंधों के माध्यम से क्रमशः गगनयान में जीवन रक्षा और तापमान नियंत्रण प्रणाली के लिए रूसी उड़ान उपकरणों के उपयोग तथा भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के लिए अंतरिक्ष पोशाकों के निर्माण के लिए सहमति बनाई।

इसरो के अध्यक्ष डॉ. के. सिवन के सेवानिवृत्त हो जाने के पश्चात् 14 जनवरी, 2022 से डॉ. एस. सोमनाथ ने नवीन अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला और आगे वह इस कार्यक्रम का नेतृत्व करेंगे।

इसरो के वर्तमान अध्यक्ष एस. सोमनाथ के अनुसार भारतीय अंतरिक्ष यात्री समूह के सदस्यों ने यूरी गागरिन अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र से सफलतापूर्वक अंतरिक्ष उड़ान प्रशिक्षण पूर्ण कर लिया है तथा आगे के विशेष प्रशिक्षण के उद्देश्य से बेंगलुरु में एक अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र को स्थापित किया गया है।


(मॉस्को के यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण सत्र के दौरान भारतीय अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवारों में से एक। फोटो साभार: रोस्कोस्मोस)

वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण वर्ष 2022 में पूर्वनिर्धारित गगनयान कार्यक्रम के क्रियान्वयन में विलम्ब हो रहा है। अंतरिक्ष विभाग और परमाणु ऊर्जा विभाग के राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह के एक साक्षात्कार के अनुसार गगनयान की प्रथम मानवरहित उड़ान 2023 में प्रक्षेपित की जाएगी। इसके पश्चात् द्वितीय मानवरहित उड़ान को स्वदेशी रोबोट व्योममित्र के साथ अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। वर्ष 2024 में गगनयान की मानवसहित उड़ान को प्रक्षेपित किया जायेगा।

21 नवंबर, 1963 को पहली बार अमेरिका निर्मित सुपरसोनिक रॉकेट नाइक-अपाचे को थुम्बा, केरल की धरती से प्रक्षेपित कर भारत ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत की थी। प्रारम्भ में संसाधनों की अल्पता के कारण रॉकेट तथा अंतरिक्ष उपकरणों को बैलगाड़ी तथा साइकिल से प्रक्षेपण स्थल तक पहुंचने से लेकर 15 फरवरी, 2017 को एक साथ 104 कृत्रिम उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करके विश्व कीर्तिमान स्थापित करने वाला भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन आज अपने स्वर्णिम काल में है। अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन अपने मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के अंतर्गत गगनयान मिशन के द्वारा एक नए दौर में प्रवेश करने के लिए लक्षित है। यदि भारत सफलतापूर्वक गगनयान को अंतरिक्ष में भेजता है, तो वह रूस, अमेरिका तथा चीन के बाद ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा, जो मानव को अपनी धरती से अंतरिक्ष में भेजेगा।

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